कथा कहां कहां लिखूं सुवासिता महान की।। कथा कहां कहां लिखूं सुवासिता महान की।।
पानी बरसे कमतर, ज्यादा लहू बरसता आया हैं। पानी बरसे कमतर, ज्यादा लहू बरसता आया हैं।
नूपुर भी छन-छन करती आई झूम पुष्पों ने विहार किया उनके आने की बेला में ॠतुराज ने स् नूपुर भी छन-छन करती आई झूम पुष्पों ने विहार किया उनके आने की बेला में ...
सोन चिरैया मदमस्त सी छम छम करके नाच दिखाती! सोन चिरैया मदमस्त सी छम छम करके नाच दिखाती!
तुम मुझे दूर ना कर देना, जैसा हूं तेरा कहलाऊं। तुम मुझे दूर ना कर देना, जैसा हूं तेरा कहलाऊं।
मतवाला मन हरी का क्या जाने इस जग की माया। मतवाला मन हरी का क्या जाने इस जग की माया।